राजनीतिपर मंगल ग्रह देव का प्रभाव !

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नमस्कार मित्रों
आज हम वास्तवदर्शी और थोडा हटके विषयपर चर्चा करेंगे l हमारे देश में राजनीति के प्रभाव की चर्चा हर क्षेत्र में होती है l हम मानते है व्यक्ती अपने कार्य और व्यक्तित्त्व द्वारा राजनीति में अवसर प्राप्त करता है l राजकीय पक्ष में अपना प्रभाव सिद्ध करने के पश्चात किसी अधिकार के पद पर पक्षश्रेष्ठी द्वारा नियुक्त होता है या फिर चुनावी रणनीतिसे जितकर नेता बन जाता है l हमारे देश में तीन स्तर की राजनीती है l हम अपने गाव-शहर-जिला से ग्राम पंचायत, पालिका, महापालिका या फिर जिला पंचायत से जुडे होते है l हम राज्य की विधानसभा और देश की सर्वोच्च लोकसभा के लिए भी उम्मीदवार हो सकते है l इस प्रकार से हमे राजनीति में प्रभाव सिद्ध करने के तीन स्तर प्राप्त होते है l व्यक्ती अपने कार्य, गुण, संपर्क से राजनीति में आगे बढता है l किंतु राजनीति में हमेशा सफलता पा नही सकता l राजनीती वैसे ही बेभरोसे का खेल है l
अगर हम हमेशा सफलता की राजनीति करना चाहते है तो हमारे कार्य, गुण और संपर्क के साथ हमारे कुंडली में स्थापित ग्रह दशा और उनके प्रभाव को समझना जरूरी है l हर सफलता केवल परिश्रम और व्यक्तित्त्वसे नही मिलती l कभी कभार हमारे कुंडलिस्थित ग्रहोंके फल को जान लेना उपयुक्त होता है l इस चर्चा का विषय यही से  प्रारंभ होता है l राजनीति में कार्यरत हर व्यक्ती अपने पार्टीका सेनापती होने का अवसर ढुंढता है l सेनापती माने किसी पद का नेतृत्त्व करना l आगे बढकर पार्टी का संचालन करना l अब विषय नेतृत्व का है तो हमे देवों के सेनापती मंगल ग्रह देवता के कृपाद्वारे प्राप्त होनेवाले फल और प्रभाव को जानना जरूरी है lराजनीति गाव, शहर, प्रदेश या देश की हो, वहाँ पर प्रवेश या सफलता के लिए फलज्योतिष को जानना जरूही होता है l अन्य व्यवसायों की तरह ही राजनीति में भी सफलता या विफलता के लिए ग्रहों का प्रभाव काफी हद तक असर डालता है। राजनीति में सफल होने के लिए हस्तरेखा और कुंडली में कुछ खास योग होना जरुरी होता है।
राजनीति में रोज लाखो की संख्या में कार्यकर्ता काम करते है l दिन-रात पार्टी और समाज में अपने अस्तित्व को निर्माण करने में जुटे है l राजनीति का प्रवेशद्वार समाजसेवा को माना गया है l किंतु २४ घंटे और ३६५ दिन समाजसेवा में जुटा हर कोई व्यक्ती राजनेता नही बनता l सफल समाजसेवी होना मतलब सफल राजनेता होना नही l फिर हमारे सामने सवाल खडा होता है, राजनीति में सफलता का या अपने प्रभाव को बढाने का मार्ग क्या है ? इस विषयपर कई महानुभावोंने लेखन किया हे l पंडित दिनेश भारद्वाज के अनुसार कुंडली में राजनीतिक सफलता का योग होना अनिवार्य है। इसी कारण से कुंडली में ग्रहों की अनुकूलता और योग के प्रभाव को देखा जाता है । नेतागिरी या राजनीति के लिए आवश्यक ग्रह ह राहू, शनि, सूर्य और मंगल है । राहू को सभी ग्रहों में नीति कारक ग्रह का दर्जा प्राप्त है। इसका प्रभाव राजनीति के घर पर होना चाहिए। 
जो लोग सफल राजनेता है उनकी कुंडली में राहु का संबध छठे, सातवे, दसवे और ग्यारहवे घर से देखा जाता है । ज्‍योतिष में कुंडली के दसवे घर को राजनीति का घर माना गया है। सत्ता में भाग लेने को दशमेश या दशम भाव में उच्च का ग्रह बैठा होना जरुरी होता है l इसके साथ गुरु नवम घर में शुभ प्रभाव की स्थिति में होना चाहिए । दशम घर या दशमेश का संबध सप्तम घर से होने पर व्यक्ति राजनीति में सफलता प्राप्त करता है। कुंडली में छठे घर को सेवा का घर कहते हैं । व्यक्ति में सेवा भाव होने के लिये इस घर से दशमेश का संबध होना चाहिए । राहु को सभी ग्रहों में नीति कारक ग्रह का दर्जा दिया गया है। इसका प्रभाव राजनीति के घर से होना चाहिए । सूर्य को भी राज्य कारक ग्रह की उपाधि दी गई है। सूर्य का दशम घर में स्वराशि या उच्च राशि में होकर स्थित हो व राहु का छठे घर, दसवें घर व ग्यारहवें घर से संबध बने तो यह राजनीति में सफलता दिलाने की संभावना बनाता है। इस योग में दूसरे घर के स्वामी का प्रभाव भी आने से व्यक्ति अच्छा वक्ता बनता है। 


शनि दशम भाव में हो या दशमेश से संबध बनाये और इसी दसवे  घर में मंगल भी स्थिति हो तो व्यक्ति समाज के लोगों के हितों के लिये काम करने के लिये राजनीति में आता है। अधिकांश राजनीतिज्ञ अच्‍छे वक्‍ता होते हैं और जनता को अपनी बातों से प्रभावित करते है । इसका सिधा अर्थ माने तो राजनीति में अच्छा वक्ता होना यह मंगल ग्रह देवता का प्रभाव दर्शाता है l सूर्य, चंद्र, बुध एवं गुरु धन भाव में ही, छठे भाव में मंगल ग्यारहवें घर में शनि, बारहवे घर में राहु और छठे घर में केतु हो तो ऐसे व्यक्ति को राजनीति विरासत में मिलती है। यह योग व्यक्ति को लम्बे समय तक शासन में रखता है। शनि दशम भाव में हो या दशमेश से संबंध बनाए और इसी दसवे घर में मंगल भी स्थित हो तो व्यक्ति समाज के लोगों के हितों के लिए काम करने के लिए राजनीति में आता है। नेतृत्व के लिए सिंह लग्न अच्छा समझा जाता है। 
सूर्य को भी राज्य कारक ग्रह की उपाधि दी गई है। सूर्य दशम घर में स्वराशि या उच्च राशि में होकर स्थित हो, राहू को छठे घर, दसवें घर व ग्यारहवें घर से संबंध बने तो यह राजनीति में सफलता दिलाने की संभावना बनाता है। इस योग में दूसरे घर के स्वामी का प्रभाव भी आने से व्यक्ति अच्छा वक्ता बनता है। 
फलज्योतिष्य के अभ्यासक तथा तज्ञ मार्गदर्शकोंने ग्रहोंके उपरोक्त स्थिती का विवेचन अपने लेखन में किया है l इसका महत्त्वपूर्ण तर्क यही है की, मंगल ग्रह देवता जिस प्रभाव से देवोंकी सेना के सेनापती है, वही कारणोंसे मनुष्य भी अपने प्रभाव के क्षेत्र में आगे बढता है और नेतृत्व करता है l अब देखे मंगल ग्रहों में सेनापति है,मंगल ग्रह देवता शक्ति, ऊर्जा, आत्मविश्वास और पराक्रम के स्वामी है l मंगलग्रह देवता का  मुख्य तत्त्व अग्नि तत्व है और इसका मुख्य रंग लाल है l नेतृत्व करने के लिए इन सभी गुण वैशिष्ट्योंका संग्रहण नेता इच्छुक व्यक्ती में होना जरूरी है l 


कुंडली में मंगल का प्रभाव या कुंडली मंगली होने का विशेष गुण यह होता है कि मंगली कुंडली वाला व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी को पूर्ण निष्ठा से निभाता है। कठिन से कठिन कार्य वह समय से पूर्व ही कर लेता है। नेतृत्व की क्षमता उसमे जन्मजात होती है lये लोग जल्दी किसी से घुलते-मिलते नहीं परंतु जब मिलते हैं तो पूर्णत: संबंध को निभाते है। अति महत्वाकांक्षी होने से इनके स्वभाव में क्रोध पाया जाता है। परंतु यह बहुत दयालु, क्षमा करने वाले तथा मानवतावादी होते हैं। गलत के आगे झुकना इनको पसंद नही होता और खुद भी गलती नही करते। ये लोग उच्च पद, व्यवसायी, अभिभाषक, तांत्रिक, राजनीतिज्ञ, डॉक्टर, इंजीनियर सभी क्षेत्रों में यह विशेष योग्यता प्राप्त करते है । 
इस विवेचन से हम अंतिम निष्कर्षपर आते है कि, अगर हम राजनीति में काम कर रहे है तो हमे हमारी कुंडली में स्थित मंगल ग्रह देवता का स्थान और उसके प्रभाव को जानना जरूरी. इतना ही नही मंगल ग्रह देवता के अनुकूल वा प्रतिकूल प्रभाव को किसी तज्ञ द्वारा समझना जरुरी …
जय मंगल भगवान

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